हुनर को जोड़े कौशल विकास से:- संभागायुक्त श्री दीपक सिंह
इंदौर। संभागायुक्त श्री दीपक सिंह ने कहा है कि इंदौर संभाग के विभिन्न ज़िलों में परम्परागत हुनर से अनेक वस्तुएँ बनायी जाती हैं। महेश्वरी साड़ियाँ, झाबुआ डाल और बाग प्रिंट इसके उदाहरण है। इस हुनर को कौशल विकास से जोड़ा जाए और शासन द्वारा संचालित आई.टी.आई. में इस संबंध में प्रशिक्षण दिया जाये। संभागायुक्त श्री दीपक सिंह ने आज इंदौर संभाग में संचालित आई.टी.आई. के प्राचार्यों की बैठक लेकर गतिविधियों की समीक्षा की। बैठक में संयुक्त संचालक कौशल विकास डॉ. एम.जी. तिवारी, इंदौर आई.टी.आई. प्राचार्य श्री जी. एस. शाजापुरकर सहित संभाग के सभी ज़िलों में स्थित आई.टी.आई. के प्राचार्य उपस्थित थे।
बैठक में बताया गया कि संभाग में कुछ आई.टी.आई. बहुत पुराने है। इंदौर में आई.टी.आई. 1956 से संचालित है। वहीं धामनोद आई.टी.आई. 1963में बना था। संभागायुक्त श्री दीपक सिंह ने बैठक में इस बात पर प्रसन्नता ज़ाहिर की कि अनेक आई.टी.आई. है जो अच्छा कार्य कर रही हैं। इंदौर के आई.टी.आई. ने अष्टांग आयुर्वेद कॉलेज में पूरे फ़र्नीचर बनाकर दिए। वही खंडवा आई.टी.आई. ने जी-20 का लोगो स्क्रैप से बना कर दिया। संभाग में अनेक आई.टी.आई. को निजी संस्थाओं की भागीदारी से भी बेहतर बनाया जा रहा है।
संभागायुक्त श्री दीपक सिंह ने बैठक में निर्देश दिये कि आने वाले समय में सी.आई.आई. और उद्योग विभाग के साथ संयुक्त रूप से बैठक लेकर आई.टी.आई. से निकलने वाले बच्चों को विभिन्न औद्योगिक इकाइयों में संयोजित करने की राह प्रशस्त करें। बैठक में बताया गया कि सरदारपुर में स्थापित आई.टी.आई. महिलाओं के लिए संचालित है और यहाँ बड़ी संख्या में अनुसूचित जनजाति वर्ग की बालिकाएं स्किल डेवलपमेंट का कोर्स कर रही है। बैठक में बताया गया कि धार में संचालित आई.टी.आई. को ग्रीन आई.टी.आई. के रूप में विकसित किया जा रहा है।
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