जयपुर। अफसरों की बेलगाम बयानबाजी क्या बीजेपी सरकार के लिए नई मुसीबत बनेगी? या फिर भाजपा किसी रणनीति के तहत अफसरों को विपक्ष के आगे कर रही है? बीते एक सप्ताह में इस तरह के कुछ बड़े उदाहरण सामने आए हैं, जहां ब्यूरोक्रेसी और कांग्रेस के आमने-सामने नजर आए हैं।
पिछली सरकार की भर्ती परीक्षाओं पर सवाल खड़े करने वाला मुख्य सचिव सुधांश पंत का बयान क्या बीजेपी पर बैक फायर करेगा? अशोक गहलोत के जवाब से यह तय है कि कांग्रेस इसे मुद्दा बना चुकी है। विधानसभा का बजट सत्र 3 जुलाई से शुरू होने जा रहा है। ऐसे में बीजेपी को अपने अफसरों के बयानों को लेकर भी इस सत्र में जवाब देना पड़ेगा।
गहलोत पहले भी पंत को लेकर बयान दे चुके हैं कि वे सुपर सीएम बनकर बैठे हैं और भजनलाल सिर्फ चेहरा हैं। सरकार पूरी तरह पंत ही चला रहे हैं। शनिवार को जब पंत ने राज्य स्तरीय कार्यक्रम में पिछली सरकार की भर्ती परीक्षाओं की क्रेडिबिलिटी पर सवाल उठाया तो उनके इस बयान पर बीजेपी की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई। हालांकि सोशल मीडिया पर यह बयान दिन भर चलता रहा, जबकि इस कार्यक्रम के चीफ गेस्ट खुद सीएम भजनलाल शर्मा थे।
ऐसा नहीं है कि मुख्य सचिव और राजस्थान की ब्यूरोक्रेसी को लेकर सिर्फ कांग्रेस नेता ही मुखर हैं। भजनलाल सरकार के मंत्री से लेकर विधायक तक यह बयान दे रहे हैं कि राजस्थान में अफसरशाही हावी हो रही है। इसका ताजा उदाहरण ब्यावर से बीजेपी विधायक शंकर सिंह रावत हैं, जिन्होंने अफसरशाही हावी होने पर सवाल उठाए हैं। शंकर सिंह रावत ने बयान दिया कि कांग्रेस राज के समय से लगे हुए अफसर किसी की नहीं सुन रहे हैं। रावत कहा कि कुछ जगह अफसरशाही हावी है और सरकार ध्यान नहीं दे पा रही है। इससे पहले बीजेपी नेता देवीसिंह भाटी ने भी ऐसा ही बयान दिया था।
इनके अलावा भी ब्यूरोक्रेसी और भाजपा नेताओं के टकराव के कई मामले हो चुके हैं, जो भले ही मीडिया की सुर्खियां नहीं बन पाए हों लेकिन शिकायत ऊपर तक गई है। एसीबी जिन पर एफआईआर करना चाहती है, वे अफसर भी नहीं बदले। मामला सिर्फ एक अफसर तक ही सीमित नहीं है, राजस्थान की ब्यूरोक्रेसी पर तभी से सवाल उठने शुरू हो गए थे, जब पिछली सरकार के पावरफुल अफसर नई सरकार आने के बाद भी टस से मस नहीं हुए।
इनमें कार्मिक विभाग के प्रमुख सचिव हेमंत गेरा, वित्त विभाग के एसीएस अखिल अरोड़ा, गृह विभाग के एसीएस आनंद कुमार, पर्यटन विभाग की सचिव गायत्री राठौड़ जैसे बड़े नाम शामिल हैं। इनमें से अखिल अरोड़ा के खिलाफ तो एसीबी ने भ्रष्टाचार का मुकदमा चलाने के लिए अभियोजन की स्वीकृति सरकार से मांग रखी है लेकिन उस फाइल को भी अफसरों ने दबा लिया।
नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली का कहना है कि ब्यूरोक्रेसी के हालात तो आप देख ही रहे हैं। कोटा में हम लोगों पर मुकदमे दर्ज कर लिए गए। मुख्यमंत्री कोई फैसले ले ही नहीं पा रहे हैं। विधानसभा सत्र के दौरान हम नीट पेपर लीक, काननू व्यवस्था, एट्रोसिटी सहित इन मामलों को लेकर सरकार के खिलाफ लड़ाई लड़ेंगे।