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सुशीला कार्की नेपाल की अंतरिम प्रधानमंत्री, रात 9 बजे लेंगी शपथ

नई दिल्ली। नेपाल में युवा पीढ़ी के हिंसक प्रदर्शनों के बाद उपजे राजनीतिक संकट के बीच शुक्रवार को पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की को अंतरिम सरकार का प्रमुख बनाने का फैसला किया गया है। इसके साथ ही नेपाल की संसद को भी भंग कर दिया गया है।

शुक्रवार को राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल के साथ सेना प्रमुख जनरल अशोक राज की मौजूदगी में जनरेशन-जी के नेतृत्वकर्ताओं ने एक बैठक की थी। जिसमें पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की को अंतरिम सरकार का प्रमुख बनाने पर सहमति बनी थी।राष्ट्रपति कार्यालय के मुताबिक नेपाल में अंतरिम प्रधनमंत्री का शपथ ग्रहण समारोह रात 9 बजे होगा। सुशीला कार्की 73 वर्ष की हैं नेपाल की पहली महिला प्रधानमंत्री होंगी।

सुशीला कार्की का जन्म 7 जून 1952 को नेपाल के बिराटनगर में हुआ था। 1972 में बिराटनगर से उन्होंने स्नातक किया और 1975 में उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर डिग्री हासिल की। 1978 में कार्की ने त्रिभुवन विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई पूरी की। 1979 में उन्होंने बिराटनगर में वकालत की शुरुआत की और इसी दौरान 1985 में धरान के महेंद्र मल्टीपल कैंपस में वो सहायक अध्यापिका के रूप में भी कार्यरत रहीं। उनकी न्यायिक यात्रा का अहम पड़ाव 2009 में आया, जब उन्हें सुप्रीम कोर्ट में अस्थायी न्यायाधीश नियुक्त किया गया।

2010 में सुशीला कार्की स्थायी न्यायाधीश बनीं। 2016 में कुछ समय के लिए वो कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रहीं और 11 जुलाई 2016 से 6 जून 2017 तक नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश के रूप में पद संभाला। अप्रैल 2017 में उस समय की सरकार ने संसद में उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव रखा था। प्रस्ताव आने के बाद जांच पूरी होने तक उन्हें मुख्य न्यायाधीश के पद से निलंबित कर दिया गया। इस दौरान जनता ने न्यायपालिका की स्वतंत्रता के समर्थन में आवाज उठाई और सुप्रीम कोर्ट ने संसद को आगे की कार्रवाई से रोक दिया। बढ़ते दबाव के बीच कुछ ही दिनों में संसद को प्रस्ताव वापस लेना पड़ा। इस घटना से सुशीला कार्की की पहचान एक ऐसी न्यायाधीश के रूप में बनी, जो सत्ता के दबाव में नहीं झुकीं।

इस बीच यहां यह भी बता दें कि, शुक्रवार को Gen-Z आंदोलन का चेहरा माने जा रहे हामी नेपाल NGO के सुदन गुरुंग का एक वीडियो सामने आया था। इसमें सुदन यह कहते हुए नजर आ रहे हैं कि अगर सुशीला कार्की के नाम पर सहमति नहीं बनती है तो वो राष्ट्रपति भवन का घेराव करेंगे। इसमें यह भी कहा जा रहा है कि हमारी शर्तें नहीं मानी गईं तो सभी नेताओं को मार दिया जाएगा। हम सब वैसे भी मर रहे हैं और मरने को तैयार हैं।

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