रायपुर। नैसर्गिक सुंदरता के लिए विख्यात जशपुर जिले के पर्यटन स्थल मयाली की देश-दुनिया मे एक अलग पहचान बनते जा रही है। वहीं हाल ही में गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपनी जगह बनाने वाले यहां के मधेश्वर पहाड़ ”लार्जेस्ट नेचुरल शिवलिंग” के रूप में जिले का नाम रोशन हो रहा है। जशपुर के बदलती हुई तस्वीर, आज और कल फिल्म का यह मशहूर गाना ये वदियां ये फिजाएं बुला रही हैं तुम्हें, ऐसा प्रतीत हो रहा है कि किसी खूबसूरत जगह को निहारने के लिए प्राकृतिक खुबसूरती समेटें हुए यह पहाड़, यह नदियां और वादियों की प्राकृतिक खूबसूरती समेटे जशपुर की खूबसूरत वादियों की पुकारती आवाज अब छत्तीसगढ सहित देश-दुनिया के पर्यटकों को सुनाई दे रही है।
वैसे तो सुरमयी वातावरण, प्राकृतिक छटा से घिरे जशपुर में प्रकृति की खूबसूरती दिखाते अनेकों पर्यटन स्थल है। इसी प्राकृतिक नैसर्गिक सुंदरता के लिए विख्यात मयाली में 22 अक्टूबर को मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय की अध्यक्षता में आयोजित सरगुजा क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण की बैठक ने इसे पुनः चर्चा के केंद्रबिंदु में ले आया। वहीं छत्तीसगढ़ प्रवास पर आई राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु के साथ नवा रायपुर स्थित मुख्यमंत्री निवास में मुख्यमंत्री श्री साय और उनके परिवारजनों व अधिकारियों-कर्मचारियों के साथ हुई एक ग्रुप फोटो जिसके बैकड्रॉप में जशपुर का खूबसूरत मधेश्वर पहाड़ प्रदर्शित था। पूरी दुनिया में फैली इस छायाचित्र ने लोगों को जशपुर की प्राकृतिक सुंदरता की ओर ध्यान खींचा है।
मधेश्वर पहाड़ ”लार्जेस्ट नेचुरल शिवलिंग’ के रूप में गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हुआ
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के प्रयासों से मधेश्वर पहाड़ को शिवलिंग की विश्व की सबसे बड़ी प्राकृतिक प्रतिकृति के रूप में मान्यता मिली है। इस ऐतिहासिक उपलब्धि को गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में स्थान मिला है। रिकॉर्ड बुक में ’लार्जेस्ट नेचुरल फैक्सिमिली ऑफ शिवलिंग’ के रूप में मधेश्वर पहाड़ को दर्ज किया गया है। जशपुर की पर्यटन स्थलों की जानकारी के लिए पर्यटन वेबसाइट https://www.easemytrip.com में जगह दी गई है। जशपुर इस पर्यटन वेबसाइट में शामिल होने वाला प्रदेश का पहला जिला बन गया है। इस बेबसाइट के माध्यम से जशपुर की नैसर्गिक खूबसूरती की जानकारी पर्यटकों को आसानी से मिल रही है।
कुनकुरी ब्लॉक में स्थित मयाली जिला मुख्यालय से लगभग 32 किलोमीटर दूरी पर है। जिला मुख्यालय से एनएच-43 सड़कमार्ग से जाते समय चरईडांड चौक पड़ता है। यहां से बगीचा रोड में कुछ ही दूरी पर मयाली नेचर कैंप स्थित है। यहां से सामने दिखाई देती मधेश्वर महादेव पहाड़ को विश्व का प्राकृतिक तौर पर निर्मित विशालतम शिवलिंग की मान्यता मिली है। इस शिवलिंग पर लोगों की बड़ी आस्था है। यहाँ सैलानी दूर-दूर से आते हैं और प्रकृति से अपने आप को जोड़ते हैं। मधेश्वर पहाड़ न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह पर्वतारोहण और एडवेंचर स्पोर्ट्स के लिए भी लोकप्रिय होता जा रहा है।
मयाली स्वदेश दर्शन योजना में शामिल, 10 करोड़ से होगा पर्यटन के रूप में विकसित
मयाली नेचर कैंप से एक ओर डैम की खूबसूरती तो दूसरी ओर विशालतम प्राकृतिक शिवलिंग मधेश्वर पहाड़ का विहंगम दृश्य दिखाई पड़ता है। चारों ओर फैली हरियाली से इसकी सुंदरता और बढ़ जाती है। मयाली डेम में बोटिंग की भी सुविधा है। भारी संख्या में लोग यहां की खूबसूरती को निहारने के साथ ही बोटिंग का आनंद लेने के लिए भी आते हैं। यहां पर्यटकों के रात्रि विश्राम की सुविधा के लिए रिसॉर्ट बनाएं गए हैं। नेचर कैंप में बटरफलाई पार्क के बाद यहां कैक्टस पार्क बनाने की योजना तैयार की गई है। मयाली नेचर कैंप को स्वदेश दर्शन योजना में शामिल करने के साथ ही पर्यटन विभाग ने मयाली के विकास के लिए 10 करोड़ रूपये की स्वीकृति प्रदान की गई है।