सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के चिकित्सकों की मेहनत और ब्लड कैंसर से पीड़ित मरीज का आत्मविश्वास रंग लाया

Sep 9, 2024 - 17:46
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सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के चिकित्सकों की मेहनत और ब्लड कैंसर से पीड़ित मरीज का आत्मविश्वास रंग लाया

ब्लड कैंसर की गंभीर बीमारी के बावजूद प्रसूता महिला का नार्मल प्रसव हुआ संभव, जुड़वा बच्चों को दिया जन्म
एमजीएम मेडिकल कॉलेज के चिकित्सक और उनकी टीम के प्रयासों से चिकित्सा क्षेत्र में इंदौर की बड़ी उपलब्धि

इंदौर। ब्लड कैंसर जैसी गंभीर बीमारी के बावजूद कोई प्रसूता महिला जुड़वाबच्चों को जन्म दे और वह भी सामान्य प्रसुती के माध्यम से तो यह बात सुन का बहुत आश्चर्य होता है, लेकिन यह संभव हुआ है चिकित्सकों की काम के प्रति जीवटता और मरीज के आत्म विश्वास से। एमजीएम मेडिकल कॉलेज के चिकित्सक और उनकी टीम ने उच्च वैज्ञानिक स्वास्थ्य सेवा प्रदाता के रूप में नित नए आयाम रचते हुए एक बार फिर मेडिकल क्षेत्र में एक स्वर्णिम इतिहास को लिखने का काम किया है।

सामान्य परिवार की एक महिला जिन्हें गर्भावस्था के दौरान क्रोनिक माइलॉयड ल्यूकेमिया नाम का ब्लड कैंसर होने की स्थिति का पता चला। चिकित्सकों की टीम ने हिम्मत नहीं हारी। इंदौर के सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के चिकित्सकों और उनकी पैरामेडिकल टीम ने मरीज को बेहतर और खुशनुमा वातावरण का अहसास कराते हुए चिकित्सकों की टीम और स्टाफ ने गंभीर बीमारी के बावजूद जुडवा बच्चों एक बेटा और एक बेटी की नन्ही किलकारी से ब्लड कैंसर से पीड़ित माँ और पूरे परिवार में खुशी के पल देने का काम किया है। सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. अक्षय लोहाटी एवं डॉ. सुमित शुक्ला ने बताया क्रोनिक माइलॉयड ल्यूकेमिया (सीएमएल) बहुत गंभीर और जानलेवा कैंसर में से एक है। गर्भावस्था के 25 वें सप्ताह में मरीज पहली बार हमारे पास इलाज हेतु आयीं थी, तब उनका डब्ल्यूबीसी गिनती 2 लाख से ज्यादा थी, प्लेटलेट गिनती 15 लाख के आस पास और तिल्ली बहुत बढी हुई थी। 

उन्होंने बताया गर्भावस्था के दौरान मां और बच्चों दोनों की सलामती बहुत जरूरी होती है। काफी दवाइयाँ और कीमोथेरेपी गर्भावस्था के समय नहीं दे सकते है, इसलिए प्रेगनेंसी के दौरान कैंसर का इलाज और भी ज्यादा चैलेंजिंग हो जाता है। उन्होंने और उनकी क्लिनिकल हेमेटोलॉजी टीम ने पीड़ित प्रसूता के इलाज के लिए पहले इंटरफेरॉन इंजेक्शन का उपयोग किया, लेकिन बाद में ना मिलने के बाद इमाटिनिब नाम की दवा दी गई, क्योंकि ये पहले तिमाही पार कर चुकी थी, इसलिए इस दवा का उपयोग किया गया। महिला के इलाज के संबंध में देश और विदेश के हेमेटोलॉजी सहयोगियों से विशेष राय भी ली गई। उन्होंने बताया मरीज को बिना भर्ती किये, ओपीडी आधार पर सीएमएल बीमारी का इलाज किया गया। करीब डेढ से दो माह के भीतर बीमारी को काफी कंट्रोल कर लिया गया।

एमटीएच अस्पताल में डॉ. सुमित्रा यादव और उनकी टीम ने पूरे आत्मविश्वास के साथ उक्त प्रसूता महिला की सामान्य डिलीवरी कराने में सफलता प्राप्त की। प्रसूता महिला ने जुड़वा बच्चे जिसमें एक लड़का और एक लड़की को जन्म दिया। प्रसूता महिला का इलाज और नॉर्मल तरीके से प्रसव जिसमें मां और दोनों जुड़वा बच्चे पूरी तरह से स्वस्थ है। यह चिकित्सा क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि है। डॉ. लाहोटी और डॉ. शुक्ला ने बताया सारे रक्त कैंसर एक समान नहीं होते। कुछ भीषण रक्त कैंसर में माँ की सलामती के लिए गर्भपात की भी सलाह देनी पड़ती है। सही समय पर सही डॉक्टर के पास पहुंचने से बीमारी का इलाज संभव है। इस उपलब्धि पर चिकित्सकों, पैरामेडिकल स्टाफ और बच्चों को जन्म देने वाली माता सहित परिवारजनों में खुशी का वातावरण है।

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