केंद्र सरकार ने बदला पीएमओ का नाम, अब ‘सेवा तीर्थ’ के नाम से जाना जाएगा

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री कार्यालय का नाम अब बदल गया है। सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत बन रहे नए पीएम आफिस को ‘सेवा तीर्थ’ के नाम से जाना जाएगा। सरकार ने यह महत्वपूर्ण फैसला पीएमओ की कार्यशैली और जनसेवा के प्रति समर्पण को देखते हुए लिया है। सेवा तीर्थ परिसर में कुल तीन हाईटेक इमारतें बनाई गई हैं। इसमें सेवा तीर्थ-1 में नया पीएमओ, सेवा तीर्थ-2 में कैबिनेट सचिवालय जबकि सेवा तीर्थ-3 में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार का कार्यालय शिफ्ट किया जाएगा। यह सभी भवन सुरक्षित संचार प्रणाली और अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी से लैस हैं।
इससे पहले प्रदेश के राजभवनों का नाम अब लोक भवन किया जा रहा है। केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देशानुसार पश्चिम बंगाल, असम, उत्तराखंड, ओडिशा, गुजरात और त्रिपुरा ने अपने प्रदेश के राज भवन का नाम बदलकर लोक भवन कर दिया है। वहीं केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में उपराज्यपाल के राज निवास का नाम लोक निवास कर दिया गया है।केंद्र सरकार के मुताबिक राज भवन के नाम से औपनिवेशिकता जाहिर होती है, यही कारण है कि सरकार चाहती है कि राज भवन समेत सरकारी इमारतों के नामों को मानवीय आधार पर रखा जाए।
साल 2016 में प्रधानमंत्री के सरकारी आवास का नाम 7 रेसकोर्स रोड से बदलकर ‘लोक कल्याण मार्ग’ किया जा चुका है। इस नाम से लोक कल्याण की भावना रेखांकित होती है। यह नाम विशिष्टता का नहीं बल्कि कल्याण का बोध कराता है। केंद्रीय सचिवालय को भी अब ‘कर्तव्य भवन’ के नाम से जाना जाता है जबकि दिल्ली के प्रसिद्ध राजपथ को अब ‘कर्तव्य पथ’ कहते हैं। सरकार की मंशा सरकारी भवनों के नामों में बदलाव से यह संदेश देने की है कि सरकार जनता की सेवा के लिए है, सत्ता के भोग के लिए नहीं है। नामों में यह बदलाव शासन की प्राथमिकताओं में सेवा, कर्तव्य को दर्शाते हैं।




