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79वां स्वतंत्रता दिवस: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने देश को किया संबोधित

नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू 79वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र को संबोधित किया। इस दौरान राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि मेरे प्यारे देशवासियों, नमस्कार, स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर आप सभी को मैं हार्दिक बधाई देती हूं। हम सभी के लिए यह गर्व की बात है कि स्वाधीनता दिवस और गणतंत्र दिवस सभी भारतीय उत्साह और उमंग के साथ मनाते हैं। ये दिवस हमें भारतीय होने के गौरव का विशेष स्मरण कराते हैं। 15 अगस्त की तारीख हमारी सामूहिक स्मृति में गहराई से अंकित है। औपनेविशक शासन की लंबी अवधि के दौरान देशवासियों की अनेक पीढ़ियों ने ये सपना देखा था कि एक दिन देश स्वाधीन होगा, देश के हर हिस्से में रहने वाले, पुरुष महिलाएं और बुढ़े जवानों ने विदेशी शासन की बेड़ियों को तोड़ फेंकने के लिए व्याकुल थे। उनके संघर्ष निराशा नहीं आपितु बलवती आशा का भाव था। आशा का वही भाव स्वतंत्रता के बाद हमारी प्रगति को उर्जा देता रहा है। कल जब हम अपने तिरंगे को सलामी दे रहे होंगे, तो वहां उन सबी स्वाधीनता सेनानियों को भी श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे जिनके बलिदान के बल पर 78 साल पहले 15 अगस्त के दिन भारत ने स्वाधीनता हासिल की थी।

राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि अपनी स्वाधीनता को पुन: प्राप्त करने के बाद हम एक ऐसे लोकतंत्र के मार्ग पर आगे बढ़ें जिसमें सभी व्यस्कों को मतदाना का अधिकार था। दूसरे शब्दों में कहें तो हम भारत के लोगों ने अपनी नियति को स्वरूप देने का अधिकार स्वयं को अर्पित किया। अनेक लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में लिंग, धर्म तथा अन्य आधारों पर लोगों के मताधिकार पर पाबंदियां होती थीं। परंतु हमने ऐसा नहीं किया। चुनौतियों के बावजूद भारत के लोगों ने लोकतंत्र को सफलतापूर्वक अपनाया। लोकतंत्र को अपनाना हमारे प्राचीन लोकतामंत्रिक मूल्यों की सहज अभिव्यक्ति थी। भारत भूमि विश्व के प्राचीनतम गणराज्यों की धरती रही है। इसे लोकतंत्र की जननी कहना सर्वथा उचित है। हमारे द्वारा अपनाए गए संविधान की आधारशिला पर हमारे लोकतंत्र का भवन निर्मित हुआ है। हमने लोकतंत्र पर आधआरित ऐसी संस्थाओं का निर्माण किया जिनसे लोकतांत्रिक कार्यशैली को मजबूती मिली।

राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि हमारे लिए हमारा संविधान और हमारा लोकतंत्र सर्वोपरि है। अतीत पर दृष्टिपात करते हुए हमें देश की विभाजन की पीड़ा को भी नहीं भूलना चाहिए। आज हमने विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस मनाया। विभाजन के कारण भयावह हिंसा देखी गई और लाखों लोग विस्थापित होने के लिए मजबूर किए गए। आज हम इतिहास की गलतियों के शिकार हुए लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। प्यारे देशवासियों, हमारे संविधान में ऐस चार मूल्यों का उल्लेख है जो हमारे लोकतंत्र को सुदृढ़ बनाए रखने वाले चार स्तंभ हैं। ये हैं न्याय, स्वतंत्रता, समता और बंधुता। ये हमारी संभ्यात के ऐसे सिद्धांत हैं जुन्हें हमने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान पुन: जीवंत बनाया है।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि इस वर्ष हमें आतंकवाद के कहर का सामना करना पड़ा। कश्मीर में छुट्टियों पर गए निर्दोष नागरिकों की हत्या कायरतापूर्ण और पूरी तरह से अमानवीय थी। भारत ने निर्णायक तरीके से और दृढ़ संकल्प के साथ जवाब दिया। ऑपरेशन सिंदूर ने दिखाया कि हमारे सशस्त्र बल राष्ट्र की सुरक्षा के लिए किसी भी स्थिति का सामना करने के लिए तैयार हैं। रणनीतिक स्पष्टता और तकनीकी क्षमता के साथ, उन्होंने सीमा पार आतंकवादी ठिकानों को नष्ट कर दिया। मेरा मानना है कि ऑपरेशन सिंदूर आतंकवाद के खिलाफ मानवता की लड़ाई में एक मिसाल के रूप में इतिहास में दर्ज होगा।

राष्ट्रपति ने कहा कि हमारी प्रतिक्रिया में, जो सबसे अधिक ध्यान देने योग्य था, वह हमारी एकता थी, जो उन लोगों के लिए सबसे करारा जवाब भी है जो हमें विभाजित करना चाहते थे। हमारी एकता सांसदों के बहु-दलीय प्रतिनिधिमंडलों में भी प्रदर्शित हुई, जिन्होंने भारत की स्थिति स्पष्ट करने के लिए विभिन्न देशों से संपर्क किया। दुनिया ने भारत के इस रुख पर ध्यान दिया है कि हम आक्रामक नहीं होंगे, लेकिन अपने नागरिकों की रक्षा में जवाबी कार्रवाई करने से भी नहीं हिचकिचाएंगे। ऑपरेशन सिंदूर रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत मिशन का एक परीक्षण भी था। इसके परिणामों ने साबित कर दिया है कि हम हम सही रास्ते पर हैं। हमारे स्वदेशी विनिर्माण ने एक महत्वपूर्ण स्तर हासिल कर लिया है जो हमें अपनी कई सुरक्षा आवश्यकताओं को पूरा करने में आत्मनिर्भर बनाता है। ये आज़ादी के बाद से भारत के रक्षा इतिहास में ऐतिहासिक उपलब्धियां हैं।

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