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एमएसएमई ही भारत की रीढ़: सांसद प्रवीण खंडेलवाल ने कहा – बदलाव को अपनाएँ, सरकार आपके साथ है

टाइम्स नेटवर्क के कार्यक्रम ‘जेम्स ऑफ दिल्ली-एनसीआर’ में सांसद श्री प्रवीण खंडेलवाल ने भारत के एमएसएमई (MSME) क्षेत्र की अहमियत पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि कृषि के बाद सबसे अधिक रोजगार देने वाला और ₹140 लाख करोड़ का वार्षिक योगदान करने वाला यह क्षेत्र देश की अर्थव्यवस्था की असली रीढ़ है। खंडेलवाल ने स्पष्ट संदेश दिया कि सरकार पूरी तरह से एमएसएमई के साथ खड़ी है और उद्यमियों को चाहिए कि वे बदलाव को अपनाकर खुद को समय के साथ आधुनिक बनाते रहें।

पिछले एक दशक में एमएसएमई क्षेत्र को विभिन्न मंचों के माध्यम से जागरूकता, शिक्षा और पहचान दिलाने के प्रयास हुए हैं। इसका नतीजा है कि आज इस क्षेत्र को गरिमा और मजबूती मिल रही है। सांसद खंडेलवाल ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लक्ष्य है कि भारत में वर्तमान में 11-12% तक की लॉजिस्टिक लागत को घटाकर 3-4% तक लाया जाए, जिससे उद्योगों की प्रतिस्पर्धात्मकता और अधिक बढ़ेगी।

उन्होंने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि कुछ कंपनियां नियामक व्यवस्था की खामियों का फायदा उठाकर हर साल 5,000 से 7,000 करोड़ रुपये का घाटा उठाती हैं, फिर भी बाजार में बनी रहती हैं। ये कंपनियां असली व्यापार नहीं बल्कि केवल वैल्यूएशन का खेल खेल रही हैं। परंपरागत व्यापार में यदि घाटा होता है तो दिवालियापन घोषित कर निपटारा कर लिया जाता है, लेकिन यहाँ स्थिति अलग है, जो उद्योग और व्यापार जगत के लिए गंभीर चुनौती है।

इसी कड़ी में खंडेलवाल ने जोर दिया कि जिस प्रकार शेयर बाजार को SEBI और दूरसंचार क्षेत्र को TRAI के अधीन किया गया, उसी तरह खुदरा व्यापार और एमएसएमई क्षेत्र के लिए भी एक स्वतंत्र नियामक संस्था बननी चाहिए।

तकनीकी बदलावों और डिजिटल खतरों पर उन्होंने कहा कि “परिवर्तन के साथ चुनौतियाँ भी आती हैं। साइबर फ्रॉड और हैकिंग जैसे खतरे मौजूद हैं, लेकिन विकास के मार्ग में भय कभी बाधा नहीं होना चाहिए।” उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि नोकिया जैसी दिग्गज कंपनी केवल इसलिए पिछड़ गई क्योंकि उसने समय के साथ खुद को अपडेट नहीं किया। वहीं, जो कंपनियाँ बदलाव को अपनाती हैं, वे आगे बढ़ती हैं और सफल होती हैं।

सरकार की प्राथमिकताओं पर बात करते हुए खंडेलवाल ने कहा कि कृषि के बाद एमएसएमई सबसे बड़ा रोजगार देने वाला क्षेत्र है और देश के जीडीपी में इसका 45% योगदान है। इसके मुकाबले हजारों करोड़ रुपये का कर्ज लेने वाले बड़े कॉरपोरेट्स केवल 15% ही योगदान करते हैं। “हमें गर्व होना चाहिए कि हम व्यापारी या एमएसएमई उद्यमी हैं,” उन्होंने कहा।

उन्होंने यह भी बताया कि पहली बार एमएसएमई और व्यापार के लिए डीपीआईआईटी (Department for Promotion of Industry and Internal Trade) नाम से एक समर्पित मंत्रालय स्थापित किया गया है। पंजीकृत उद्यमियों को प्राथमिकता क्षेत्र ऋण (Priority Sector Lending) के तहत बैंक ऋणों पर 2% तक कम ब्याज दर का लाभ मिलता है। बैंकों को अपनी कुल उधारी का कम से कम 6% इस क्षेत्र को देने के लिए बाध्य किया गया है। लेकिन जानकारी की कमी और बैंक अधिकारियों की गलत सूचनाओं की वजह से कई उद्यमी अपने हक से वंचित रह जाते हैं। अपने संबोधन में सांसद खंडेलवाल ने स्पष्ट किया कि एमएसएमई को आधुनिक बनाना समय की मांग है। बदलाव अपनाएं, तकनीक से जुड़ें और गर्व से कहें कि हम एमएसएमई उद्यमी हैं, यही भारत को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगा।

 

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