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क्या हैं लम्पी वायरस, जानें क्या हैं लक्षण और बचाव के तरीके

दुधारू पशुओं में इन दिनों एक बीमारी, महामारी की तरह फैल रही है। लम्पी त्वचा रोग से देश के करीबन 15 लाख से ज़्यादा मवेशी संक्रमित हो चुके हैं। करीबन 49,500 मवेशियों की जान जा चुकी है। राजस्थान, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल, पंजाब, मध्य प्रदेश, ओडिशा, तमिलनाडु, जम्मू-कश्मीर और कर्नाटक सहित देश के कई राज्य इसकी चपेट में हैं।

सबसे ज्यादा खराब स्थिति गुजरात और राजस्थान की है। गुजरात में लंपी वायरस से अबतक 1600 से ज्यादा मवेशियों की मौत हो चुकी है। वहीं, राजस्थान में करीब 4300 गौवंश की मौत रिकॉर्ड की गई है। ऐसा भी माना जाता है कि देश के कई राज्यों के कोहराम मचा रहा लंपी वायरस पाकिस्तान के रास्ते भारत आया है। लम्पी नामक ये संक्रामक रोग इस साल अप्रैल में पाकिस्तान के रास्ते भारत आया था।

लम्पी वायरस के क्या हैं लक्षण

-पशुओं में लगातार बुखार रहना।
-वजन कम होना।
-लार निकलना।
-आंख और नाक का बहना।
-दूध का कम होना।
-शरीर पर अलग-अलग तरह के नोड्यूल दिखाई देना।
-शरीर पर चकत्ता जैसी गांठें बन जाना।

कैसे फैलता हैं लम्पी वायरस

लम्पी वायरस किलनी, मच्छर, मक्खी, पशुओं के लार, जूठे जल एवं पशु के चारे के द्वारा फैलता है। किलनी, मच्छर व मक्खी जैसे वाहकों द्वारा बीमार पशु से स्वस्थ पशु के शरीर में पहुंचता है।

लम्पी वायरस से बचाव के तरीके

संक्रमित पशु को एक जगह बांधकर रखें। उन्हें स्वस्थ पशुओं के संपर्क में न आने दें। स्वस्थ पशुओं का टीकाकरण कराएं तथा बीमार पशुओं को बुखार एवं दर्द की दवा तथा लक्षण के अनुसार उपचार करें। पशु मंडी या बाहर से नए पशुओं को खरीद कर पुराने पशुओं के साथ न रखें। उन्हें कम से कम 15 दिन तक अलग रखें।

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