
नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने तब्लीगी जमात से जुड़े विदेशी नागरिकों से संबंधित सभी 27 मामलों को साकेत कोर्ट में ट्रांसफर करने के आदेश दिए हैं। हाईकोर्ट का कहना था कि एक ही जगह मामले चलने से इनका जल्द व आसानी से निपटारा हो सकेगा। इन विदेशी नागरिकों पर वीजा नियमों का उल्लंघन व कोविड-19 के तहत जारी भारत सरकार के दिशा-निर्देशों की अनदेखी का आरोप है।
हाईकोर्ट ने यह आदेश इन विदेशी नागरिकों की उस याचिका पर दिया है जिसमें कहा गया कि उन्हें जुर्माना जमा करने पर रिहा तो कर दिया गया है लेकिन इसी तरह के दूसरे मामलों में आरोपी होने के कारण अपने देश लौटने की अनुमति नहीं मिल रही है। न्यायमूर्ति अनूप जयराम भांभनी की पीठ ने आदेश दिया है कि विदेश नागरिकों के खिलाफ चल रहे अलग-अलग मामलों को एक ही कोर्ट के समक्ष सुना जाए। पीठ ने कहा कि इन मामलों को साकेत स्थित दक्षिण पूर्वी जिले के मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट सुने और जल्द उनका निपटारा करें।
दिल्ली हाईकोर्ट ने विदेशी नागारिकों की इस याचिका पर वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्मय से सुनवाई की। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने इसी मसले पर दिल्ली हाईकोर्ट को आदेश देने को कहा था। वहीं, केन्द्र व दिल्ली सरकार ने भी सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि उन्हें इस पर कोई आपत्ति नहीं है। पीठ ने सभी जिला कोर्टों को निर्देश दिया है कि वह अपने यहां चल रहे इस तरह के मामलों की फाइल को तुरंत साकेत कोर्ट के सीएमएम की कोर्ट में ट्रांसफर कर दें।
विदेशी नागरिकों की पैरवी कर रही अधिवक्ता अशिमा मंडल ने बताया कि उन्होंने हाईकोर्ट को बताया कि एक ही तरह के आरोप में इन नागरिकों पर कई प्राथमिकी दर्ज हैं। अगर वह किसी एक मामले में अपना जुर्म कबूल चुके हैं और उन्हें जुर्माना भरने की सजा मिल चुकी है तो दूसरे मामले पर सुनवाई कहां तक उचित है। वहीं, दिल्ली सरकार के वकील राहुल मेहरा ने कहा कि उन्हें कोई आपत्ति नहीं है यदि कोर्ट अपने स्तर पर किसी तरह का आदेश जारी करती है।
जबकि केन्द्र सरकार के वकील अजय दिग्पाल ने पीठ के समक्ष कहा कि इन आरोपी विदेशी नागरिकों के खिलाफ लुक आउट नोटिस गृहमंत्रालय की तरफ से जारी किए गए हैं। जांच एजेंसी ने गृहमंत्रालय से इसकी मांग की थी जिसके बाद यह कार्यवाही की गई।
साथ ही अधिवक्ता दिग्पाल ने कहा कि अगर आपराधिक मामलों का निपटारा कानून के हिसाब से हो गया है तो गृह मंत्रालय लुकआउट नोटिस को बंद कर देगा। साथ ही केन्द्र सरकार को इससे कोई आपत्ति नहीं है कि लुक आउट नोटिस को बंद करने के निर्देश के बाद ये नागरिक अपने देश लौट सकते हैं। एक अलग याचिका दायर कर विदेशी नागरिकों ने कहा कि जब अपने खिलाफ दर्ज मामले में अपराध कबूल कर चुके हैं। सजा के तौर पर जुर्माना भी भर चुके हैं तो उन्हें अब क्यों लौटने से रोका जा रहा है।
ज्ञात रहे कि इन विदेशी नागरिकों पर कोविड-19 के तहत लॉकडाउन के दौरान तब्लीगी जमात में शामिल होने का आरेाप है। निजामुद्दीन मरकज में हजारों की संख्या में एकत्रित होकर कोरोना जैसी महामारी फैलाने का आरोप लगा था। याचिकाकर्ता 27 विदेशी नागरिकों में से 19 किरग्सितान व इंडोनेशिया के हैं।