
नई दिल्ली। दुनिया के सबसे ताकतवर लड़ाकू विमानों में से एक राफेल की लैंडिंग भारत में हो गई है। सोमवार को फ्रांस से उड़ान भरने के बाद 5 राफेल विमानों ने बुधवार को अंबाला एयरबेस पर लैंडिंग की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके स्वागत में ट्वीट किया है। प्रधानमंत्री ने अंबाला में राफेल के टच डाउन का वीडियो शेयर करते हुए संस्कृत में ट्वीट किया कि राष्ट्र रक्षा के समान कोई पुण्य, व्रत या यज्ञ नहीं होता। उन्होंने इंडियन एयर फोर्स के आदर्श वाक्य ‘नभः सदृशं दीप्तम्’ के साथ स्वागतम् भी लिखा।
प्रधानमंत्री ने संस्कृत में श्लोक ट्वीट किया. उन्होंने लिखा ”राष्ट्ररक्षासमं पुण्यं, राष्ट्ररक्षासमं व्रतम्, राष्ट्ररक्षासमं यज्ञो, दृष्टो नैव च नैव च.. नभः स्पृशं दीप्तम्…स्वागतम्!” यानि राष्ट्र रक्षा से बढ़कर न कोई पुण्य है, न कोई व्रत है, न कोई यज्ञ है।
गृह मंत्री अमित शाह ने भी राफेल के भारत आने को गर्व का क्षण करार दिया है। उन्होंने ट्वीट किया, राफेल का टचडाउन हमारी ताकतवर एयर फोर्स के लिए ऐतिहासिक दिन है और भारत के लिए गौरव का क्षण है! ये दुनिया की सबसे ताकतवर मशीनें हैं जो आसमान में किसी भी चुनौती को नाकाम करती हैं। मुझे भरोसा है कि राफेल की श्रेष्ठता से हमारे वायु योद्धाओं को हमारे आसमान की रक्षा करने में मदद मिलेगी।
राफेल विमानों को दुनिया के सबसे बेहतरीन लड़ाकू विमानों में से एक माना जाता है। फ्रांस के बोरदु के शहर में स्थित मेरिगनेक एयरबेस से 7,000 किलोमीटर की दिरी तय करके ये विमान आज दोपहर हरियाणा में स्थित अंबाला एयरबेस पर उतरे। राफेल विमानों के भारतीय हवाई क्षेत्र में प्रवेश करने के बाद दो सुखोई 30 एमकेआई विमानों ने उनकी आगवानी की और उसके साथ उड़ते हुए अंबाला तक आए।
मोदी सरकार ने 23 सितंबर, 2016 को फ्रांस की एरोस्पेस कंपनी दसाल्ट एविएशन के साथ 36 लड़ाकू विमान खरीदने के लिए 59,000 करोड़ रुपये का सौदा किया था। गौरतलब है कि इससे पहले तत्कालीन UPA सरकार करीब सात साल तक भारतीय वायुसेना के लिए 126 मध्य बहुद्देशीय लड़ाकू विमानों के खरीद की कोशिश करती रही थी, लेकिन वह सौदा सफल नहीं हो पाया था।
दसॉ एविएशन के साथ आपात स्थिति में राफेल विमानों की खरीद का यह सौदा भारतीय वायुसेना की कम होती युद्धक क्षमता में सुधार के लिए किया गया था, क्योंकि वायुसेना के पास फिलहाल 31 लड़ाकू विमान हैं जबकि वायुसेना के स्क्वाड्रन में इनकी स्वीकृत संख्या के अनुसार, कम से कम 42 लड़ाकू विमान होने चाहिए।
अंबाला पहुंचे पांच राफेल विमानों में से तीन विमान एक सीट वाले जबकि दो राफेल दो सीट वाले लड़ाकू विमान हैं। इन्हें भारतीय वायुसेना के अंबाला स्थित स्क्वाड्रन 17 में शामिल किया जाएगा जो ‘गोल्डन एरोज’ के नाम से प्रसिद्ध है।