
नई दिल्ली। निर्भया के दोषियों को जल्द-से-जल्द फांसी पर लटकाने की मांग वाली केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस की याचिका खारिज करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को कहा कि निर्भया के चारों दुष्कर्मियों को एक साथ फांसी दी जी सकती है, अलग-अलग नहीं। लेकिन, अदालत ने स्पष्ट कर दिया कि दोषी अब जो भी याचिका दाखिल करना चाहते हैं, 7 दिन के भीतर ही दाखिल करें और अधिकारियों को इस पर तुरंत एक्शन लेना चाहिए।
पटियाला हाउस कोर्ट ने निर्भया के चारों दोषियों मुकेश, अक्षय, पवन और विनय की फांसी पर अगले आदेश तक रोक लगा दी थी। केंद्र और तिहाड़ जेल प्रशासन ने इस फैसले के लिए खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। रविवार को विशेष सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। निर्भया के माता-पिता ने दिल्ली हाईकोर्ट से याचिका पर जल्द फैसला लेने की अपील की थी।
हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फांसी पर रोक के आदेश को चुनौती देने वाली केंद्र की याचिका खारिज कर दी। लेकिन, अदालत ने यह भी कहा, “इस बात में कोई शक नहीं है कि दोषियों ने देरी की तरकीबों का इस्तेमाल कर प्रक्रिया को हताश किया है। दूसरी ओर मई 2017 में जब सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों की अपील खारिज कर दी, तब किसी ने भी उनके खिलाफ डेथ वॉरंट जारी करने के लिए कदम नहीं उठाया।
हाईकोर्ट ने कहा कि इसमें कोई शक नहीं है कि निर्भया के साथ दोषियों ने जो कुछ किया, वो बेहद अमानवीय था। हाईकोर्ट ने कहा, दोषी एक हफ्ते में अपने सारे उपाय पूरे करें। दिल्ली हाईकोर्ट ने जांच एजेंसी और संबंधित विभाग के कार्रवाई से नाखुशी जाहिर की। कोर्ट ने कहा कि जब मई 2017 में सुप्रीम कोर्ट दोषियों की याचिका को खारिज करता है तो कोई भी संबंधी विभाग ने डेथ वारंट जारी कराने की कोशिश नहीं की, जिसका फायदा दोषियों ने बखूबी उठाया।
बता दें, केंद्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट में निर्भया सामूहिक बलात्कार और हत्या मामले में चार दोषियों की फांसी पर रोक को चुनौती दी थी। न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत ने शनिवार और रविवार को विशेष सुनवाई के बाद दो फरवरी को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था।