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दिल्‍ली: प्लाज्मा तकनीक से होगा कोरोना मरीजों का इलाज

नई दिल्ली। दिल्‍ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने गुरुवार को कोरोना पर जानकारी देने के लिए डिजिटल प्रेस वार्ता कर बताया कि दिल्‍ली के 57 इलाकों में ऑपरेशन शील्‍ड चल रहा है। वहीं, उन्‍होंने यह भी कहा कि दिल्‍ली सरकार ने कोरोना के गंभीर रोगियों के लिए प्‍लाज्मा तकनीक के लिए मंजूरी दे दी है।

इस तकनीक के इस्‍तेमाल से उम्‍मीद है कि कोरोना के इलाज में एक नई दिशा मिल सकती है। अगर सब कुछ सही दिशा में बढ़ा तो आने वाले दिनों में कोरोना का इलाज इससे काफी हद तक संभव हो पाएगा।

केजरीवाल ने कहा कि हमारे डॉक्टर 3-4 दिन के अंदर ट्रायल करेंगे। उन्‍होंने बताया कि हमने केंद्र सरकार से प्लाज्मा टेस्ट के लिए इजाजत मांगी थी जो मिल गई है। अगर सफल हुए तो इससे सीरियस मरीज का इलाज करने में सफल हो सकेंगे।

इस तकनीक में जिस मरीज को एक बार कोरोना हो जाता है वह जब ठीक होता है तो उसके शरीर में एंटीबॉडी डिवेलप होती हैं यह एंटीबॉडी उसको ठीक होने में मदद करते हैं। इसलिए ऐसा व्यक्ति जो कोरोना से ठीक हो गया है वह रक्तदान करता है। उसके खून में से प्लाज्मा निकाला जाता है और वह प्लाज्मा को किसी दूसरे मरीज में डाल दिया जाता है जो इस बीमारी से पीड़ित है।

केजरीवाल ने कहा कि इस वक्त हमारे सामने दो चैलेंज है। पहला हम किस तरह कोरोना को फैलने से रोकें। उसके लिए हम लॉकडाउन और सोशल डिस्टैंसिंग कर रहे हैं। दूसरी अगर किसी व्यक्ति को कोरोना वायरस हो जाता है तो हम सभी चाहते हैं कि वह अस्पताल से ठीक होकर घर चला जाए, उसकी मौत न हो।

उन्होंने कहा कि यह देखा गया कि यदि संक्रमित मरीज में पहले से हृदय रोग, ब्लड प्रेशर, कैंसर या अन्य कोई बीमारी हो तो उसके जीवन के ऊपर संकट बढ़ जाता है। ऐसे सीरियस केस में अगर संक्रमित व्यक्ति के शरीर में प्लाज्मा तकनीकी का प्रयोग किया जाए तो देखने में आया है कि उनके बचने की संभावना बढ़ जाती है। ऐसा कुछ देशों में देखने को मिला भी है।

क्या है प्लाज्मा तकनीक
इस तकनीकी में संक्रमण से मुक्त हो चुके मरीजों के रक्त की जरूरत होगी। उसके रक्त से प्लाज्मा को निकालकर उसे इनरिच किया जाएगा और उसे संक्रमित रोगियों के शरीर में डाला जाएगा। हालांकि, कोरोना से स्वस्थ हुए मरीजों की तादाद बहुत कम है। जो मरीज तुरंत ठीक हुआ है उसी के शरीर में यह एंडीबॉडी मिलेगी।

इस एंटीबॉडी को संक्रमित व्यक्ति के शरीर में डालने के बाद कोरोना वायरस धीरे-धीरे कमजोर हो जाएगा। इससे मरीज के ठीक होने की संभावना बढ़ जाएगी।

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