
हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणपति बप्पा की स्थापना की जाती है। इसी दिन से 10 दिन तक चलने वाले गणेश उत्सव की शुरुआत होती है। गणेश चतुर्थी का त्योहार गणेश जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस साल गणेश उत्सव की शुरुआत कल (19 सितंबर) से हो रही है।
इस दिन लोग गणपति बप्पा को ढोल नगाड़ों के साथ बड़ी ही धूमधाम से घर में लाते हैं। पूरे गणेश उत्सव के दिनों में चारों ओर बप्पा के नाम का उद्घोष सुनाई पड़ता है। भगवान गणपति बुद्धि और शुभता के देवता हैं। कहा जाता है कि जहां पर बप्पा विराजते हैं वहां हर समय सुख-समृद्धि रहती है।
आइए जानते हैं गणेश चतुर्थी को किस शुभ मुहूर्त में करें मूर्ति स्थापना और पूजा की विधि-
गणेश चतुर्थी शुभ मुहूर्त-
पंचांग के अनुसार इस साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी 18 सितंबर को दोपहर 2 बजकर 9 मिनट पर शुरू होगी और इसका समापन 19 सितंबर को दोपहर 3 बजकर 13 मिनट पर होगा। उदयातिथि के अनुसार गणेश चतुर्थी का पर्व 19 सितंबर को मनाया जाएगा। इस दिन भगवान गणेश की मूर्ति स्थापना की जाती है और ऐसा करने से घर में सुख-समृद्धि व खुशहाली आती है। इस साल गणेश जी की प्रतिमा को स्थापित करने का शुभ समय 19 सितंबर को सुबह 10 बजकर 49 मिनट से लेकर दोपहर के 01 बजकर 16 मिनट तक रहेगा।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान गणेश का जन्म भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन दोपहर में स्वाति नक्षत्र व सिंह लग्न में हुआ था। इसलिए इस मुहूर्त को बहुत ही शुभ माना गया है। अगर आप अपने घर में भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करने जा रहे हैं तो यह मुहूर्त बहुत ही शुभ माना गया है। पंचांग के अनुसार 19 सितंबर को दोपहर 1 बजकर 34 मिनट तक स्वाति नक्षत्र रहेगा।
गणेश मूर्ति स्थापना की पूजा सामग्री-
गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा के लिए सामग्री भी खास महत्व रखती है। इसलिए सामग्री का ध्यान रखें। पूजा सामग्री में दूर्वा, शमी पत्र, लड्डू, हल्दी, पुष्प और अक्षत शामिल होने चाहिए।
गणेश चतुर्थी व्रत व पूजन विधि
व्रती को चाहिए कि प्रातः स्नान करने के बाद सोने, तांबे, मिट्टी की गणेश प्रतिमा लें।
चौकी में लाल आसन के ऊपर गणेश जी को विराजमान करें।
गणेश जी को सिंदूर व दूर्वा अर्पित करके 21 लडडुओं का भोग लगाएं। इनमें से 5 लड्डू गणेश जी को अर्पित करके शेष लड्डू गरीबों या ब्राह्मणों को बाँट दें।
सांयकाल के समय गणेश जी का पूजन करना चाहिए। गणेश चतुर्थी की कथा, गणेश चालीसा व आरती पढ़ने के बाद अपनी दृष्टि को नीचे रखते हुए चन्द्रमा को अर्घ्य देना चाहिए।
इस दिन गणेश जी के सिद्धिविनायक रूप की पूजा व व्रत किया जाता है।
ध्यान रहे कि तुलसी के पत्ते (तुलसी पत्र) गणेश पूजा में इस्तेमाल नहीं हों। तुलसी को छोड़कर बाकी सब पत्र-पुष्प गणेश जी को प्रिय हैं।
गणेश पूजन में गणेश जी की एक परिक्रमा करने का विधान है। मतान्तर से गणेश जी की तीन परिक्रमा भी की जाती है।