
नई दिल्ली। साल 2020 के पहले संसद सत्र की शुरुआत के साथ ही संसद तालियों से गूंज उठी। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अपने अभिभाषण में नागरिकता कानून के बारे में जैसे ही चर्चा की, सांसद करीब दो मिनट तक मेज थपथपाते रहे। उधर राष्ट्रपति के अभिभाषण के दौरान नागरिकता कानून की चर्चा करने पर विपक्षी सांसद भड़क गए। उन्होंने विरोध में नारेबाजी भी की।
राष्ट्रपति ने कहा, ‘विभाजन के बाद बने माहौल में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कहा था कि- ‘पाकिस्तान के हिंदू और सिख, जो वहां नहीं रहना चाहते, वे भारत आ सकते हैं। उन्हें सामान्य जीवन मुहैया कराना भारत सरकार का कर्तव्य है।’ पूज्य बापू के इस विचार का समर्थन करते हुए, समय-समय पर अनेक राष्ट्रीय नेताओं और राजनीतिक दलों ने भी इसे आगे बढ़ाया। हमारे राष्ट्र निर्माताओं की उस इच्छा का सम्मान करना, हमारा दायित्व है।’
राष्ट्रपति ने कहा, ‘मुझे प्रसन्नता है कि संसद के दोनों सदनों द्वारा नागरिकता संशोधन कानून बनाकर, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की इच्छा को पूरा किया गया है। मैं पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचार की निंदा करते हुए, विश्व समुदाय से इसका संज्ञान लेने और इस दिशा में आवश्यक कदम उठाने का भी आग्रह करता हूं।’
राष्ट्रपति ने कहा कि शरणार्थियों को नागरिकता देने से किसी पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा, ‘मेरी सरकार यह पुन: स्पष्ट करती है कि भारत में आस्था रखने वाले और भारत की नागरिकता लेने के इच्छुक दुनिया के सभी पंथों के व्यक्तियों के लिए जो प्रक्रियाएं पहले थीं, वे आज भी वैसी ही हैं। किसी भी पंथ का व्यक्ति इन प्रक्रियाओं को पूरा करके, भारत का नागरिक बन सकता है। शरणार्थियों को नागरिकता देने से किसी क्षेत्र और विशेषकर नॉर्थ ईस्ट पर कोई सांस्कृतिक प्रभाव न पड़े, इसके लिए भी सरकार ने कई प्रावधान किए हैं।’
इस बीच बजट सत्र में हिस्सा लेने पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि इस सत्र में अधिकतम आर्थिक विषयों पर चर्चा की जाएगी। वैश्विक-आर्थिक स्थितियों में भारत कैसे फायदा उठा सकता है, इस पर भी बहस की जाएगी। पीएम नरेंद्र मोदी ने यह भी कहा कि यह साल 2020 का यह पहला सत्र है। इस दशक का भी यह पहला सत्र है। हम सबका प्रयास रहना चाहिए कि इस सत्र में दशक के उज्ज्वल भविष्य की नींव रखी जाए।