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UN में बोले पीएम मोदी- हमने दुनिया को युद्ध नहीं बल्कि बुद्ध दिए

न्यूयॉर्क। पीएम नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र के मंच से आतंकवाद पर करारा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि हमने दुनिया को युद्ध नहीं बल्कि बुद्ध दिए हैं। उन्होंने कहा, ‘हमारी आवाज में आतंकवाद के खिलाफ दुनिया को सतर्क करने की गंभीरता और आक्रोश दोनों हैं। आतंकवाद मानवता और दुनिया के लिए चुनौती हैं। इस मुद्दे पर बंटी हुई दुनिया उन सिद्धांतों को चोट पहुंचाती है, जिनके आधार पर यूएन का गठन हुआ है।’

पीएम मोदी ने पाकिस्तान का नाम लिए बिना ही आतंकवाद पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा, ‘आतंकवाद के खिलाफ पूरी दुनिया का एकजुट होना जरूरी है। बिखरी हुई दुनिया किसी के भी हित में नहीं है। हमारे पास न तो अपनी सीमाओं में सिमटने का विकल्प है। हमें संयुक्त राष्ट्र को नई शक्ति और नई दिशा देनी ही होगी।’

उन्होंने स्वामी विवेकानंद का जिक्र करते हुए कहा, ‘सवा सौ साल स्वामी विवेकानंद ने विश्व धर्म संसद से दुनिया को एक संदेश दिया था। यह संदेश था, सद्भाव और शांति। भारत की ओर से आज भी दुनिया के लिए यही संदेश है। संयुक्त राष्ट्र महासभा के 74वें सत्र में बोलते हुए पीएम मोदी ने कहा कि यदि दुनिया आतंकवाद पर बंटी हुई दिखती है तो यह फिर संयुक्त राष्ट्र के सिद्धांतों से अन्याय होगा।

उन्होंने कहा, ‘आज से तीन हजार वर्ष पूर्व हमारे एक तमिल कवि ने कहा था कि हम सभी स्थानों के लिए अपनेपन का भाव रखते हैं और सभी लोग हमारे अपने हैं। भारत ने विश्व बंधुत्व के उस महान परंपरा को आगे बढ़ाने का काम किया है।’

पीएम मोदी ने कहा कि सवाल यह है कि आखिर नए भारत में तेजी से बदलाव कैसे आ रहे हैं। भारत हजारों साल पुरानी एक संस्कृति है, जिसकी अपनी जीवंत परंपराएं हैं। हमारे संस्कार, हमारी संस्कृति जीव में शिव में देखती है। इसलिए हमारा प्राण तत्व है, जनभागीदारी से जनकल्याण। यही नहीं हम जन कल्याण से जग कल्याण तक की बात करते हैं।

गांधी का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा, ‘पूरा विश्व इस साल महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मना रहा है। सत्य और अहिंसा का उनका संदेश विश्व की शांति और प्रगति के लिए आज भी महत्वपूर्ण है।’ संयुक्त राष्ट्र महासभा में पीएम मोदी ने हिंदी में ही अपनी बात रखी।

भारत में स्वच्छता को लेकर चलाए जा रहे मिशन की बात करते हुए उन्होंने कहा कि हमने 5 साल में 11 करोड़ शौचालय दिए हैं। यह पूरी दुनिया को एक प्रेरक संदेश देने जैसा है। दुनिया ने टीबी से मुक्ति के लिए 2030 का समय रखा है, लेकिन हम 2025 तक भारत को इससे मुक्त करने के लिए काम कर रहे हैं।

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