
नई दिल्ली। स्वास्थ्य कर्मचारियों के खिलाफ हो रही हिंसा लेकर केंद्र सरकार एक अध्यादेश लाई है। अध्यादेश के अनुसार स्वास्थ्यकर्मियों पर हमला करने वालों को 6 महीने से 7 साल तक की सजा का प्रावधान रखा गया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना वायरस महामारी के दौरान स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा के लिए लाए गए अध्यादेश की तारीफ की। पीएम ने कहा कि यह हमारे पेशेवरों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा और इसपर कोई समझौता नहीं हो सकता है।
प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट कर लिखा कि महामारी रोग (संशोधन) अध्यादेश 2020 कोरोना वायरस से फ्रंटलाइन पर बहादुरी से लड़ रहे हमारे हर स्वास्थ्यकर्मी की रक्षा करने की हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यह हमारे पेशेवरों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा। उनकी सुरक्षा से कोई समझौता नहीं हो सकता है।
बता दें कि सरकार की तरफ से स्वास्थ्य कर्मचारियों के खिलाफ हिंसा को खत्म करने के लिए लाए गए अध्यादेश के तहत अगर इस मामले में किसी को दोषी पाया गया तो 6 महीने से लेकर 7 साल तक की कैद की सजा हो सकती है।
केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि कैबिनेट ने स्वास्थ्य कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए ऑर्डिनेंस जारी करने का फैसला किया है। एपिडेमिक डिसिजेज एक्ट (ईडीए) 1897 में अमेंडमेंट को कैबिनेट ने अप्रूव किया है।
स्वास्थ्य कर्मचारियों के खिलाफ हिंसा करना संज्ञेय और गैरजमानती अधराध की श्रेणी आएगा। इसके तहत 3 महीने से 5 साल तक की सजा हो सकती है, जबकि 50 हजार से 2 लाख तक का जुर्माना भी लगाया जा सकता है।