
हर साल पितृपक्ष पर पूर्वजों के लिए श्राद्ध कर्म किया जाता है। इन दिनों में पिंडदान, तर्पण, हवन और अन्न दान मुख्य होते हैं। ये सप्ताह पितरों को समर्पित होते हैं। कहा जाता है कि पितृ पक्ष का पहला श्राद्ध अगस्त मुनि को होता है जो भाद्र शुक्ल पूर्णिमा को लगता है। इस बार भाद्र पूर्णिमा 1 सितंबर को है इसलिए अगस्त मुनि के नाम से इसी दिन पूजन किया जाएगा। प्रतिपदा का पहला पितृ श्राद्ध 1 सितंबर को होगा।
श्राद्ध पक्ष 16 दिनों का होता है जिसमें भाद्रपद पूर्णिमा के दिन पूर्णिमा का श्राद्ध किया जाता है और उसके बाद आश्विन माह के कृष्ण पक्ष के 15 दिन क्रमश: प्रतिपदा से अमावस्या तक की तिथियों के श्राद्ध किए जाते हैं। अंतिम दिन सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या होती है।
ऐसी मान्यता है कि जो लोग पितृ पक्ष में पूर्वजों का तर्पण नहीं कराते, उन्हें पितृदोष लगता है। श्राद्ध के बाद ही पितृदोष से मुक्ति मिलती है। श्राद्ध से पितरों को शांति मिलती हैं। वे प्रसन्न रहते हैं और उनका आशीर्वाद परिवार को प्राप्त होता है।
हालांकि इस साल मोक्षदायिनी ‘गया’ की धरती पर पिंडदान नहीं किया जा सकेगा। कोरोना के बढ़ते मामलों के मद्देनजर बिहार सरकार ने ये फैसला लिया है। हालांकि आप सभी तरह के कर्मकांड व दान आदि अपने घर पर कर सकते हैं।