पितृपक्ष 2020: जानें कब है कौन सा श्राद्ध और महत्व

हर साल पितृपक्ष पर पूर्वजों के लिए श्राद्ध कर्म किया जाता है। इन दिनों में पिंडदान, तर्पण, हवन और अन्न दान मुख्य होते हैं। ये सप्ताह पितरों को समर्पित होते हैं। कहा जाता है कि पितृ पक्ष का पहला श्राद्ध अगस्त मुनि को होता है जो भाद्र शुक्ल पूर्णिमा को लगता है। इस वर्ष पितृपक्ष 2 सितंबर से शुरू हो रहा है।

श्राद्ध पक्ष 16 दिनों का होता है जिसमें भाद्रपद पूर्णिमा के दिन पूर्णिमा का श्राद्ध किया जाता है और उसके बाद आश्विन माह के कृष्ण पक्ष के 15 दिन क्रमश: प्रतिपदा से अमावस्या तक की तिथियों के श्राद्ध किए जाते हैं। अंतिम दिन सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या होती है।

इस साल पितृपक्ष का का समापन 17 सितंबर को होगा और मलमास आरंभ हो जाएगा। अंतिम श्राद्ध यानी अमावस्या श्राद्ध 17 सितंबर को किया जाएगा। पूर्णिमा का श्राद्ध 2 सितंबर को होगा जबकि पंचमी का श्राद्ध 7 सितंबर को किया जाएगा। पितृपक्ष के दौरान 13 अगस्त को एकादशी तिथि का श्राद्ध किया जा सकेगा।

मान्यता है कि जो लोग पितृ पक्ष में पूर्वजों का तर्पण नहीं कराते, उन्हें पितृदोष लगता है। श्राद्ध के बाद ही पितृदोष से मुक्ति मिलती है। श्राद्ध से पितरों को शांति मिलती हैं। वे प्रसन्‍न रहते हैं और उनका आशीर्वाद परिवार को प्राप्‍त होता है।

ऐसी मान्‍यता है कि श्राद्ध पक्ष में यमराज मृत जीवों को मुक्‍त कर देते हैं ताकि वे अपने परिजनों के यहां जाकर तर्पण ग्रहण करें और पूरे परिवार को आशीर्वाद देकर जाएं। श्राद्ध की उत्‍पत्ति श्रृद्धा से हुई है। यानी कि अपने पितरों के प्रति सच्‍ची श्रृद्धा रखने का पर्व। दुनिया से विदा हो चुके पितरों की आत्‍मा की तृप्ति के लिए सच्‍ची भावना के साथ जो तर्पण किया जाता है, बस उसे ही श्राद्ध कहते हैं।

हालांकि इस साल मोक्षदायिनी ‘गया’ की धरती पर पिंडदान नहीं किया जा सकेगा। कोरोना के बढ़ते मामलों के मद्देनजर बिहार सरकार ने ये फैसला लिया है। हालांकि आप सभी तरह के कर्मकांड व दान आदि अपने घर पर कर सकते हैं।

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