
मास की शुक्ल पंचमी को नाग पंचमी मनाई जाती है जो 25 जुलाई को है। इस दिन नागों की पूजा की जाती है और इनका दूध से अभिषेक किया जाता है। अगर इस दिन शिव शंकर के गले के आभूषण यानी नागों की पूरी श्रद्धा से पूजा की जाए तो शिव जी प्रसन्न होकर भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।
नाग पंचमी मुहूर्त
सावन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि का प्रारंभ आज 24 जुलाई शुक्रवार दोपहर 02 बजकर 34 मिनट से हो रहा है, जो 25 जुलाई शनिवार को दोपहर 12 बजकर 02 मिनट तक है। नाग पंचमी की पूजा के लिए शनिवार को सुबह में 02 घंटे 44 मिनट का समय है। आप सुबह 05 बजकर 39 मिनट से 08 बजकर 22 मिनट के बीच पूजा कर सकते हैं। शिव मंदिर में भोलेनाथ की पूजा के साथ उनका जलाभिषेक भी करें।
सावन में नाग पूजा
भविष्य पुराण में सावन माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी नाग देवता के लिए समर्पित है। इस वजह से ही इसे नाग पंचमी कहा जाता है। सावन भगवान शिव का प्रिय है और उन्होंने गले में अपने परमभक्त वासुकी को धारण किया है। वासुकी को नागों का राजा कहा जाता है। नाग पंचमी के दिन शेषनाग के साथ वासुकी की भी पूजा की जाती है। वासुकी ने ही भीम को 10 हजार हाथियों का बल का वरदान दिया था।
व्रत एवं पूजा विधि
गरुड़ पुराण में बताया गया है कि नाग पंचमी का व्रत रखने वाले व्यक्ति को इस दिन आटे या मिट्टी का नाग बनाना चाहिए। फिर उनको रंगों से सजाना चाहिए। इसके बाद अक्षत्, फूल, दीप, खीर तथा नारियल अर्पित कर उनकी पूजा करनी चाहिए। पंचमी की पूजा में प्रसाद के रूप में भुने जौ तथा चने वितरित किया जाता है।
नाग पंचमी का महत्व
हिंदु धर्म में नागों का विशेष महत्व है। इनकी पूजा पूरी श्रद्धा से की जाती है। बता दें कि नाग शिव शंकर के गले का आभूषण भी हैं और भगवान विष्णु की शैय्या भी। सावन के महीने में हमेशा झमाझमा बारिश होती है और नाग जमीन से बाहर आ जाते हैं। ऐसे में मान्यता के अनुसार, नाग देवता का दूध से अभिषेक किया जाता है और उनका पूजन किया जाता है। इससे वो किसी को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं। कहा तो यह भी जाता है कि अगर कुंडली दोष हो तो उसे दूर करने के लिए भी नाग पंचमी का महत्व अत्यधिक होता है।