
शुक्रवार को नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा-अर्चना होगी। माना जाता है कि नवरात्रि में मां दुर्गा के छठे रूप कात्यायनी की पूजा करने से लोगों को धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष जैसे चारों पुरुषार्थों की प्राप्ति होती है और उनके जीवन के सारे कष्ट मिट जाते हैं।
माना जाता है कि जिन कन्याओं की शादी में बाधा आ रही है या जिन्हें मनचाहे वर की कामना है, वे नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की उपासना जरूर करें, इससे उन्हें मनचाहा वर मिलेगा। मां कात्यायी को प्रसन्न करने के लिए इस मंत्र का उच्चारण जरूर करें- या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
मां कत्यायनी की व्रत कथा
कत नाम के एक प्रसिद्ध महर्षि थे। उनके पुत्र ऋृषि कात्य हुए। इन्हीं कात्य के गोत्र में विश्वप्रसिद्ध महर्षि कात्यायव उत्पन्न हुए। महर्षि ने कई सालों तक भगवती पराम्बा की उपासना करते हुए कठिन तपस्या की थी। उनकी इच्छा थी कि मां भगवती उनके घर में बेटी के रूप में जन्म लें। मां भगवती ने उनकी प्रार्थना स्वीकार कर ली। कुछ समय बाद जब राक्षस महिषासुर का अत्याचार धरती पर बढ़ गया तब ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों भगवान ने अपने तेज का अंश देकर महिषासुर के विनाश के लिए देवी को उत्पन्न किया। महर्षि कात्यायन ने सर्वप्रथन इनकी पूजा की। इसी वजह से ये कात्यायनी कहलाईं।