
हरतालिका तीज व्रत भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष तृतीया को मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं भगवान शिव व माता पार्वती की रेत के द्वारा बनाई गई अस्थाई मूर्तियों को पूजती हैं व सुखी वैवाहिक जीवन तथा संतान की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करती हैं। हरतालिका तीज व्रत इस वर्ष 2020 मे 21 अगस्त को मनाई जाएगी।
कर्नाटक, आन्ध्र प्रदेश व तमिलनाडु में हरतालिका तीज को गौरी हब्बा के नाम से जाना जाता है व माता गौरी का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए एक महत्वपूर्ण दिन के रूप में पूजा जाता है। गौरी हब्बा के दिन महिलाएं स्वर्ण गौरी व्रत रखती हैं व माता गौरी से सुखी वैवाहिक जीवन के लिए प्रार्थना करती हैं।
हरतालिका तीज शुभ मुहूर्त
हरितालिका तीज शुक्रवार, अगस्त 21, 2020 को
प्रातःकाल हरितालिका पूजा मुहूर्त – 5:54 से 8:30 अवधि – 2 घण्टे 36 मिनट्स
प्रदोषकाल हरितालिका पूजा मुहूर्त – 6:54 से 9:06 अवधि – 2 घण्टे 12 मिनट्स
हरतालिका तीज कथा
हरतालिका तीज की उत्पत्ति व इसके नाम का महत्त्व एक पौराणिक कथा में मिलता है। हरतालिका शब्द, हरत व आलिका से मिलकर बना है, जिसका अर्थ क्रमश: अपहरण व स्त्रीमित्र (सहेली) होता है। हरतालिका तीज की कथा के अनुसार, पार्वतीजी की सहेलियां उनका अपहरण कर उन्हें घने जंगल में ले गई थीं। ताकि पार्वतीजी की इच्छा के विरुद्ध उनके पिता उनका विवाह भगवान विष्णु से न कर दें।
हरतालिका तीज व्रत विधि
हरितालिका पूजन के लिए भगवान शिव मां पार्वती और भगवान गणेश की मूर्ति को हाथों द्वारा मिट्टी से बनाई जाती है। तत्पश्चात फुलेरा बनाकर उसे सजाया जाता है फिर चौकी पर थाल में केले के पत्ते बिछाकर तीनों प्रतिमाओं को स्थापित किया जाता है।
तत्पश्चात कलश को धोकर उसके मुख पर लाल धागा बांधा जाता है और उस पर श्रीफल रखकर दीपक जला कर उसकी पूजा की जाती है फिर उस पर सातिया बनाकर उस पर कुमकुम हल्दी चावल चढ़ाकर विधि को पूर्ण की जाती है। उपरोक्त क्रिया करने के बाद सर्वप्रथम भगवान गणेश की पूजा की जाती है तत्पश्चात भगवान शिव की आराधना करने के बाद माता गौरी के ऊपर पूर्ण सिंगार करके पूजा की जाती है।
तत्पश्चात हरतालिका व्रत कथा को पढ़ा जाता है उसके बाद सभी सदस्य मिलकर विधि पूर्वक तीनों प्रतिमाओं की आरती करते हैं। आरती करने के बाद भगवान शिव भगवान गणेश और माता पार्वती की परिक्रमा की जाती है यह पूजा पूरी रात भर पांच बार की जाती है।
पूजा के दौरान जो सिंदूर माता गौरी को लगाया जाता है पूजा के उपरांत सुहागन औरतें उस सिंदूर को सुहाग करती है। संपूर्ण पूजा पाठ समापन के बाद बारी आती है उपवास को तोड़ने की इस दौरान ककड़ी और हलवे का भोग लगाया जाता है। ककड़ी को खाकर हर एक स्त्री अपने व्रत को पूर्ण करती है।
हरतालिका तीज व्रत की पूजन सामग्री
कहां जाता है जितनी शक्ति उतनी भक्ति। हर एक व्रत को करने का अपना-अपना अलग-अलग विधि विधान होता है हिंदू समाज में लोग अपनी शक्ति के अनुसार सामग्री को एकत्र करके विधि को पूर्ण करते हैं।
हरितालिका तीज व्रत में प्रयोग में आने वाली पूजन सामग्री की लिस्ट कुछ इस प्रकार है-
-गीली काली मिट्टी तीनों प्रतिमाओं को बनाने के लिए।
-विशेष तरह के फूल सजाने के लिए।
-सभी प्रकार के फल एवं फूल।
-केले का पत्ता प्रतिमाओं को स्थापित करने के लिए।
-तुलसी, मंजरी, बेलपत्र, शमी पत्र, धतूरा।
-वस्त्र इत्यादि चढ़ाने के लिए।
-सुहाग के सामान में चूड़ी बिंदी काजल, कुमकुम सिंदूर इत्यादि प्रकार के मान्यताओं के अनुसार।
-श्रीफल, कलश, दीपक, कपूर, कुमकुम, सिंदूर, अक्षत इत्यादि पूजन के लिए।
-दूध, दही, घी, ड्राई फ्रूट्स, फल इत्यादि पंचामृत और प्रसाद के लिए।