
अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु के अनंत रूप की अराधना की जाती है। इस दिन 14 गांठें बनाकर एक अनंत धागा बनाया जाता है, जिसकी पूजा करने के बाद उसे बांह पर बांध लिया जाता है। अनंत चतुर्दशी के दिन ही कई जगह गणेश विसर्जन भी किया जाता है। इस साल अनंत चतुर्दशी की यह पावन तिथि 1 सितंबर 2020 को पड़ रही है।
माना जाता है कि इस दिन भगवान गणेश कैलाश पर्वत पर वापस लौटते हैं। हालांकि अनंत चतुर्दशी की यह पावन तिथि सिर्फ गणेश भक्तों के लिए ही नहीं, बल्कि भगवान विष्णु के भक्तों और जैन धर्म के अनुयायियों के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है।
शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को अनंत चतुर्दशी पड़ती है। इस साल अनंत चतुर्दशी 1 सितंबर 2020 को पड़ रही है। इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 5:59 बजे से 9:41 बजे तक है।
व्रत व पूजा विधि
इस दिन सुबह जल्दी उठकर भक्त स्नान करके भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। पूजा के दौरान भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप को पीले फूले, मिठाई अर्पित करते हैं। धूप-दीप से विधिवत उनकी पूजा की जाती है। इस दिन अनंत सूत्र को भगवान विष्णु के चरणों में अर्पित करने के बाद भक्त अपनी कलाई में उसे बांधते हैं, पुरुषों को अनंत सूत्र अपनी दाईं कलाई में और महिलाओं को बाईं कलाई में बांधनी चाहिए। बिहार और पूर्वी यूपी के कुछ हिस्सों में यह त्योहार क्षीरसागर (दूध का सागर) और भगवान विष्णु के अनंत रूप से जुड़ा है।
भक्त इस दिन उपवास रखते हैं। माना जाता है कि इस दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु के पूजा करने से भक्तों जीवन में आने वाले कई प्रकार के संकटों से मुक्ति मिलती है और भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। मान्यताओं के अनुसार, अनंत चौदस की पूजा करने से घर की नकारात्मक ऊर्जा नष्ट होती है। जिन लोगों की कुंडली में कालसर्प दोष है उन्हें इस दिन पूजा करने से लाभ मिलता है, क्योंकि इस दिन शेषनाग की भी पूजा की जाती है।
महत्व-
अनंत चतुर्दशी गणेशोत्सव का आखिरी दिन है, जिन लोगों ने भक्तिभाव के साथ भगवान गणेश को अपने घरों में स्थापित किया है वे इस दिन गणपति बप्पा का विसर्जन कर उन्हें विदा करते हैं। इस साल अनंत चतुर्दशी मंगलवार के दिन पड़ रही है, जिसे भगवान गणेश का दिन कहा जाता है। इसके अलावा अनतं चतुर्दशी को बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में भी मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप की पूजा की जाती है, इसलिए इसे अनंत चतुर्दशी के नाम से जाना जाता है।
इस दिन भक्त भगवान विष्णु की पूजा करते हैं और पवित्र अनंत सूत्र (14 गांठों वाला लाल रेशम का धागा) बांधते हैं, जिसे 14 दिनों के बाद कलाई से हटा दिया जाता है। इस दिन भक्त विशेष प्रकार की मिठाइयां और व्यंजन तैयार करते हैं। इसके अलावा जैस धर्म के लोग भी इस दिन को बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। दिगंबर जैन भाद्रपद महीने के अंतिम दस दिनों तक पर्युषण मनाते हैं और अनंत चतुर्दशी इसका अंतिम दिन होता है, जिसे अनंत चौदस के नाम से भी जाना जाता है।
पौराणिक मान्यता
अनंत चतुर्दशी व्रत का जिक्र पुराणों में भी मिलता है। कहा जाता है कि जब पांडव जुए में अपना सारा राजपाट हारकर वन में कष्ट भोग रहे थे, तब उन्हें वासुदेव श्रीकृष्ण ने अनंत चतुर्दशी का व्रत करने की सलाह दी थी। श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर से कहा कि अगर वे विधिपूर्वक अनंत चतुर्दशी का व्रत रखकर भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा करेंगे तो इससे उनका सारा संकट दूर हो जाएगी और खोया हुआ राजपाट भी उन्हें फिर से प्राप्त हो जाएगा।