
भारत में कई तरह के त्योहार मनाए जाते हैं। अक्षय तृतीया इन्हीं त्योहारों में से एक है। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार अक्षय तृतीया की तिथि को बेहद खास माना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, अक्षय तृतीया के दिन जो भी कार्य किए जाते हैं उनसे शुभ फल प्राप्त होता है।
कुछ स्थानों पर अक्षय तृतीया को आखा तीज के नाम से भी जाना जाता है। इस वर्ष रविवार, 26 अप्रैल 2020 को अक्षय तृतीया का पर्व मनाया जाएगा। अक्षय तृतीया को भगवान विष्णु से जोड़ा जाता है और इस दिन श्रीहरि और लक्ष्मी जी की खास पूजा की जाती है।
वहीं अक्षय तृतीया के अन्य कई महत्व भी हैं जो इसे हिन्दू धर्म की इतनी खास तिथि बनाते हैं। इसे भगवान विष्णु के छठे अवतार श्री परशुराम की जन्मतिथि माना जाता है। मां गंगा का धरती पर आगमन अक्षय तृतीया पर ही हुआ था। इस दिन पितृ पक्ष में किए गए पिंडदान का अक्षय परिणाम भी मिलता है।
अक्षय तृतीया 2020 का शुभ मुहूर्त-
तीया तिथि प्रारंभ: 11:50 बजे (25 अप्रैल 2020)
तृतीया तिथि समापन: 13:21 बजे (26 अप्रैल 2020)
अक्षय तृतीया का महत्व-
अक्षय तृतीया की तिथि को लेकर बताया जाता है कि इस दिन को स्वयं सिद्ध मुहूर्त के रूप में जाना जाता है। इस तिथि को बिना किसी पंचांग को देखे भी कोई भी शुभ मांगलिक कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश, घर, भूखंड या वाहन आदि की खरीदारी से सम्बंधित कार्य किए जा सकते हैं।
धर्मराज को इस तिथि का महत्व समझाते हुए माता पार्वती कहती हैं कि कोई भी स्त्री, जो किसी भी तरह का सुख चाहती है उसे यह व्रत करते हुए नमक का पूरी तरह से त्याग करना चाहिए। स्वयं में भी यही व्रत करके मैं भगवान शिव के साथ आनंदित रहती हूँ।
इसी के साथ ही विवाह योग्य कन्याओं को भी उत्तम वर की प्राप्ति के लिए इस व्रत को रखना चाहिए। जिनको संतान नहीं हो रही हो वे स्त्रियां भी इस व्रत करके संतान सुख प्राप्त कर सकती हैं। स्वर्ग के राजा इंद्र की पत्नी देवी इंद्राणी इसी व्रत के पुण्य प्रताप से जयंत नामक पुत्र की माँ बनी।
देवी अरुंधति ने यही व्रत करके अपने पति महर्षि वशिष्ठ के साथ आकाश में सबसे ऊपर का स्थान प्राप्त किया। प्रजापति दक्ष की पुत्री रोहिणी इसी व्रत के कारण अपने पति चंद्र की सबसे प्रिय रानी रहीं।