
भारत में पारंपरिक रूप से कृषि 1960 से 1965 के दशक तक मानी जाती हैं। इसके बाद सन् 1968 के भारत- चीन युद्ध के कारण देश के आर्थिक हालत नाजूक हो रहें थे ,क्योंकि उस दौरान भारत की 75% जनसंख्या की आय का साधन कृषि ही था| इन्हीं विपरीत परिस्थितियों के चलते तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमति इंदिरा गाँधी द्वारा एम. स्वामीनाथ की कृषि की उन्नत तकनीक को भारतीय कृषि हेतु अपनाया गया। इसी कृषि की उन्नत तकनीक को हम हरित क्रांति के रूप में जानते है।
हरित क्रांति के कारण कीटनाशकों और रसायनों का प्रयोग बहुत अधिक बढ़ गया। परंतु तत्कालीन आर्थिक परिस्थितियों से निपटने के लिये हरित क्रांति अंधेरे में किसी रोशनी कम न थी। इसके चलते भारतीय कृषि में क्रांति की लहर दौड़ पड़ी।
इसके बाद 1970 में माँग एवं पूर्ति की समस्या को देखते हुए चौथी पंचवर्षीय योजना में रिक्ती हुई, और हरित क्रांति
द्वारा खाद्य उत्पादन पर अधिक जोर दिया गया|
वास्तव में लेकिन भारतीय कृषि मानसून का जुआ ही रहीं जिसके उपरांत 1970-73 में महाराष्ट्र, 1979-80 में पं. बंगाल में सूखा पड़ा। 1976-1979 के मध्य हरित क्रांति के तीव्रतम प्रसार ने भारत को एक खाद्य अपर्याप्य राष्ट्र से विश्व के प्रमुख कृषि राष्ट्रों में स्थान प्रदान करवाया। भारत उन कुछ राष्ट्रों में से एक हैं जहाँ हरित क्रांति सबसे अधिक सफल रही है।

भारत में कृषि मिश्रित फसलों के रूप में की जाती हैं यें फसलें तीन प्रकार की होती हैं
1.खरीफ की फसल 2.रबी की फ़सल 3.जायद की फसल
1.खरीफ की फसल :-इन फसलों की बुआई जून-जुलाई में होती हैं और अक्टूबर के आसपास काटते हैं। इस फसल को मानसून की फसल के रूप में भी जाना जाता है,इन फसलों को बोते समय अधिक तापमान एवं आर्द्रता तथा पकते समय शुष्क वातावरण की आवश्यकता होती है।

2.रबी की फ़सल :- अक्तूबर-नवम्बर के महिनों में बोई जाती हैं और मार्च – अप्रैल में काटते हैं। इन फसलों की बुआई के समय कम तापमान तथा पकते समय गर्म वातावरण की आवश्यकता होती है।

3.जायद की फसल :- भारत में ये फसलें मूख्यतः मार्च-अप्रैल में बोई जाती हैं।
भारत में कृषि का वर्तमान स्वरूप:-
2015-2016 में जीडीपी में इसका योगदान 17.5% है,कृषि क्षेत्र में देश की लगभग 50% श्रमशक्ति कार्यरत है। खाद्य उत्पादन प्रत्येक वर्ष बढ़ रहा है और देश गेहूं, चावल, दालों, गन्ने और कपास जैसी फसलों के मुख्य उत्पादकों में से एक है। 1960 के दशक में हरित क्रांति के बाद गेहूं और चावल के उत्पादन में जबरदस्त वृद्धि हुई और 2015-16 तक, देश के कुल खाद्यान्न उत्पादन में गेहूं और चावल की हिस्सेदारी 78% हो गई।

जिन प्रमुख वस्तुओं का निर्यात भारत से किया जाता है, उनमें चावल, मसाले, कपास, मांस और मांस से बने खाद्य, चीनी इत्यादि शामिल हैं। आर्थिक समीक्षा के अनुसार कृषि क्षेत्र और संबंधित गतिविधियों ने वर्ष 2020-21 में स्थिर मूल्यों पर 3.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई हैं।