भारत-चीन सीमा विवाद पर संसद में बोले राजनाथ सिंह- हमारी सेना हर परिस्थिति के लिए तैयार है

नई दिल्ली। लद्दाख में चीन के साथ तनाव पर बोलते हुए सदन में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने साफ किया कि चीन के साथ सीमा मुद्दा अभी भी अनसुलझा है, क्योंकि चीन वर्तमान सीमा को मान नहीं रहा है। उन्‍होंने कहा कि धारणा में अंतर के कारण वास्तविक लाइन पर अभी भी चीन के साथ तनाव बना हुआ है। हालांकि भारत ने चीन को अवगत कराया है कि चीन-भारतीय सीमा को जबरन बदलने का प्रयास स्वीकार्य नहीं है।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, हम 1960 से चली आ रही रेखा का अनुसरण कर रहे हैं, लेकिन चीन इसपर सहमत नहीं है और कहता है कि दोनों पक्षों के पास इस रेखा के अलग-अलग दृष्टिकोण हैं। उन्होंने बताया कि चीन भारी तादाद में जवानों की तैनाती कर 1993 और 1996 के समझौतों का उल्लंघन कर रहा है। चीन ने समझौतों का सम्मान नहीं किया।

उनकी कार्रवाई के कारण लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) के आसपास टकराव के हालात बने हैं। इन समझौतों में टकराव से निपटने के लिए प्रकिया भी तय है। मौजूदा स्थिति में चीन ने एलएसी और अंदरुनी इलाकों में भारी तादाद में सेना और गोला-बारूद को जमा किया है। हमने भी जवाबी कदम उठाए हैं। हमारी सेना हर परिस्थिति के लिए तैयार है।

चीन ने एलएसी और आंतरिक क्षेत्रों में बड़ी संख्या में सेना की बटालियनों और सेनाओं को जुटाया है। पूर्वी लद्दाख, गोगरा, कोंगका ला, पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी बैंकों में कई तनाव वाले क्षेत्र हैं। भारतीय सेना ने चीन को जवाब देने के लिए इन क्षेत्रों में काउंटर तैनाती की है। हम चीन के साथ शांतिपूर्ण समाधान के लिए प्रतिबद्ध हैं, लेकिन किसी भी घटना के लिए तैयार हैं।

राजनाथ सिंह ने कहा, सदन को आश्वस्त रहना चाहिए कि हमारी सेनाएं इस चुनौती का सामना करेंगी। हमें सेनाओं पर फख्र है। अभी की स्थिति में संवेदनशील मुद्दे शामिल हैं, इसलिए इसका ज्यादा खुलासा नहीं कर सकता। कोरोना के चुनौतीपूर्ण समय में भी सेनाओं और आईटीबीपी की तेजी से तैनाती हुई है। सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में बॉर्डर इन्फ्रास्ट्रक्चर पर ध्यान दिया है। हमने इसका बजट दोगुना से भी ज्यादा बढ़ाया है।

राजनाथ ने कहा, सदन जानता है कि भारत-चीन की सीमा का प्रश्न अब तक हल नहीं हुआ है। भारत-चीन की सीमा का ट्रेडिशनल अलाइनमेंट चीन नहीं मानता। दोनों देश भौगोलिक स्थितियों से अवगत हैं। चीन मानता है कि इतिहास में जो तय हुआ, उस बारे में दोनों देशों की अलग-अलग व्याख्या है। दोनों देशों के बीच आपस में रजामंदी वाला समाधान नहीं निकल पाया है।

लद्दाख के इलाकों के अलावा चीन अरुणाचल प्रदेश की सीमा से 90 हजार वर्ग किलोमीटर इलाके को भी अपना बताता है। सीमा का प्रश्न जटिल मुद्दा है। इसमें सब्र की जरूरत है। शांतिपूर्ण बातचीत के जरिए समाधान निकाला जाना चाहिए। दोनों देशों ने मान लिया है कि सीमा पर शांति जरूरी है।

Share With

Chhattisgarh