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मन की बात में बोले पीएम मोदी- वीर सावरकर का व्यक्तित्व दृढ़ता और विशालता से समाहित था

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ के जरिए देशवासियों को संबोधित किया। पीएम मोदी ने कहा कि आज 28 मई को महान स्वतंत्रता सेनानी, वीर सावरकर जी की जयंती है। उनके त्याग, साहस और संकल्प-शक्ति से जुड़ी गाथाएं आज भी हम सबको प्रेरित करती हैं। मैं, वो दिन भूल नहीं सकता, जब मैं अंडमान में, उस कोठरी में गया था जहां वीर सावरकर ने कालापानी की सजा काटी थी।

पीएम मोदी ने कहा कि वीर सावरकर का व्यक्तित्व दृढ़ता और विशालता से समाहित था। उनके निर्भीक और स्वाभिमानी स्वाभाव को गुलामी की मानसिकता बिल्कुल भी रास नहीं आती थी। स्वतंत्रता आंदोलन ही नहीं, सामाजिक समानता और सामाजिक न्याय के लिए भी वीर सावरकर ने जितना कुछ किया उसे आज भी याद किया जाता है।

पीएम मोदी ने कहा कि ‘मन की बात’ का ये एपिसोड सेकेंड सेंचुरी का प्रारंभ है। पिछले महीने हम सभी ने इसकी स्पेशल सेंचुरी को सेलिब्रेट किया है। आपकी भागीदारी ही इस कार्यक्रम की सबसे बड़ी ताकत है। उन्होंने कहा कि जब ‘मन की बात’ का प्रसारण हुआ, तो उस समय दुनिया के अलग-अलग देशों में, अलग-अलग Time zone में…कहीं शाम हो रही थी तो कहीं देर रात थी। इसके बावजूद, बड़ी संख्या में लोगों ने 100वें एपिसोड को सुनने के लिए समय निकाला। उन्होंने कहा कि मैंने हजारों मील दूर न्यूजीलैंड का वो वीडियो भी देखा, जिसमें 100 वर्ष की एक माताजी अपना आशीर्वाद दे रही हैं।

बीते दिनों हमने मन की बात में काशी तमिल संगमम की बात की। सौराष्ट्र तमिल संगमम की बात की। कुछ समय पहले ही वाराणसी में काशी तेलुगू संगमम भी हुआ। एक भारत श्रेष्ठ भावना को ताकत देने वाला ऐसे ही एक और अनूठा प्रयास देश में हुआ है। ये प्रयास है- युवा संगम का। पीएम मोदी ने कहा कि भारत की शक्ति इसकी विविधता में है।

पीएम मोदी ने कहा कि हमारे देश में देखने के लिए बहुत कुछ है। इसी को देखते हुए शिक्षा मंत्रालय ने युवासंगम नाम से एक बेहतरीन पहल की है। उन्होंने कहा कि इस पहल का उद्देश्य लोगों से लोगों को कनेक्ट बढ़ाने के साथ ही देश के युवाओं को आपस में घुलने-मिलने का मौका देना है। विभिन्न राज्यों के उच्च शिक्षा संस्थानों को इससे जोड़ा गया है।

पीएम मोदी ने कहा कि युवा संगम में युवा दूसरे राज्यों के शहरों और गांवों में जाते हैं, उन्हें अलग-अलग तरह के लोगों के साथ मिलने का मौका मिलता है। युवा संगम के फर्स्ट राउंड में लगभग 1200 युवा, देश के 22 राज्यों का दौरा कर चुके हैं। जो भी युवा इसका हिस्सा बने हैं, वे अपने साथ ऐसी यादें लेकर वापस लौट रहे हैं, जो जीवनभर उनके हृदय में बसी रहेंगी।

पीएम मोदी ने कहा कि कुछ दिन पहले ही मैं जापान में हिरोशिमा में था। वहां मुझे हिरोशिमा शांति स्मारक संग्रहालय में जाने का अवसर मिला। ये एक भावुक कर देने वाला अनुभव था। जब हम इतिहास की यादों को संजोकर रखते हैं तो वो आने वाली पीढ़ियों की बहुत मदद करता है। कई बार म्यूजियम में हमें नए सबक मिलते हैं तो कई बार हमें बहुत कुछ सीखने को मिलता है।

कुछ दिन पहले ही भारत में अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय एक्सपो का भी आयोजन किया था। इसमें दुनिया के 1200 से अधिक म्यूजियम की विशेषताओं को दर्शाया गया। हमारे यहां भारत में अलग-अलग प्रकार के ऐसे कई म्यूजियम हैं, जो हमारे अतीत से जुड़े अनेक पहलुओं को प्रदर्शित करते हैं।

गुरुग्राम में एक अनोखा संग्रहालय है- म्यूजियो कैमरा, इसमें 1860 के बाद के 8 हजार से ज्यादा कैमरों का संग्रह मौजूद है। तमिलनाडु के संभावनाओं का संग्रहालय को हमारे दिव्यांगजनों को ध्यान में रखकर डिज़ाइन किया गया है। मुंबई का छत्रपति शिवाजी महाराज वास्तु संग्रहालय एक ऐसा म्यूजियम है, जिसमें 70 हजार से भी अधिक चीजें संरक्षित की गई हैं।

पीएम मोदी ने कहा कि 2010 में स्थापित भारतीय स्मृति परियोजना एक तरह का ऑनलाइन म्यूजियम है। ये जो दुनियाभर से भेजी गयी तस्वीरों और कहानियों के माध्यम से भारत के गौरवशाली इतिहास की कड़ियों को जोड़ने में जुटा है। विभाजन की विभिषिका से जुड़ी स्मृतियों को भी सामने लाने का प्रयास किया गया है।

उन्होंने कहा कि बीते वर्षों में भी हमने भारत में नए-नए तरह के म्यूजियम और मेमोरियल बनते देखे हैं। स्वाधीनता संग्राम में आदिवासी भाई-बहनों के योगदान को समर्पित 10 नए संग्रहालय बनाए जा रहे हैं। कोलकाता के विक्टोरिया मेमोरियल में बिप्लोबी भारत गैलरी हो या फिर जालियावाला बाग मेमोरियल का पुनुरुद्धार, देश के सभी पूर्व प्रधानमंत्रियों को समर्पित पीएम म्यूजियम भी आज दिल्ली की शोभा बढ़ा रहा है।

पीएम मोदी ने कहा कि 1965 के युद्ध के समय, हमारे पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी ने जय जवान, जय किसान का नारा दिया था। बाद में अटल जी ने इसमें जय विज्ञान भी जोड़ दिया था। कुछ वर्ष पहले, देश के वैज्ञानिकों से बात करते हुए मैंने जय अनुसंधान की बात की थी। ‘मन की बात’ में आज बात एक ऐसे व्यक्ति की, एक ऐसी संस्था की, जो, जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान और जय अनुसंधान, इन चारों का ही प्रतिबिंब है।

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