चाँदनी चौक से भाजपा सांसद श्री प्रवीन खंडेलवाल ने केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत को आज एक पत्र भेजकर आग्रह किया है कि लाल किला, जो दिल्ली का एक प्रमुख ऐतिहासिक स्मारक है तथा भारत की समृद्ध ऐतिहासिक धरोहर का प्रतीक है, में एक “ टार्चर म्यूजियम” बनाया जाये जिसमें मुग़ल काल से लेकर अंगेज़ों के काल तक जिस प्रकार से देशभक्तों एवं स्वतंत्रता सेनानियों को क्रूर यातनाएँ दी गई, वो हर पीढ़ी को पता लगना चाहिए , इस दृष्टि से एक टॉरचर म्यूजियम का होना समय की माँग है। हर भारतवासी को यह याद रहना चाहिए कि आज़ादी की क्या क़ीमत लाखों लोगों को चुकानी पड़ी है।श्री खंडेलवाल ने कहा कि यह टॉर्चर म्यूज़ियम’ अतीत की क्रूरता और मानवाधिकार उल्लंघनों को प्रदर्शित करेगा।
श्री शेखावत को भेजे पत्र में श्री खंडेलवाल ने कहा कि इतिहास की कई क्रूर सच्चाइयां और शोषण की घटनाएं समय के साथ धुंधली हो जाती हैं। एक ‘टॉर्चर म्यूज़ियम’ इन घटनाओं को दर्शाकर लोगों को इतिहास की उन भयावह वास्तविकताओं से रूबरू कराएगा, जिन्हें अक्सर नज़रअंदाज़ किया जाता है। यह म्यूज़ियम ऐतिहासिक यातनाओं के विभिन्न रूपों को प्रदर्शित करेगा और भारत के संघर्षों को समझने का एक महत्वपूर्ण साधन बनेगा। ‘टॉर्चर म्यूज़ियम’ न केवल अतीत की क्रूर यातनाओं को प्रदर्शित करेगा, बल्कि यह समझने में मदद करेगा कि यातनाओं ने मानवता को कैसे प्रभावित किया।
श्री खंडेलवाल ने अपने पत्र में कहा कि म्यूज़ियम का एक मुख्य उद्देश्य शिक्षा होगा। यह म्यूज़ियम छात्रों, शोधकर्ताओं और आम जनता के लिए एक महत्वपूर्ण शैक्षणिक स्थल बनेगा, जहाँ वे यातनाओं के ऐतिहासिक संदर्भ, उनके कारण और उनके परिणामों को गहराई से समझ सकेंगे। इतिहास के इन अध्यायों को सामने लाने से हमें यह समझने में मदद मिलेगी कि यातना के हथकंडों ने किस तरह से राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक ढांचे को प्रभावित किया है।
उन्होंने कहा कि लाल किले जैसी ऐतिहासिक धरोहर पर इस तरह का म्यूज़ियम स्थापित करना भारतीय समाज की सांस्कृतिक चेतना को विकसित करने में मदद करेगा। यह म्यूज़ियम अतीत की घटनाओं से प्रेरणा लेकर भविष्य की पीढ़ियों को चेतावनी देगा कि हिंसा और यातनाएं कभी भी किसी समाज के लिए स्वीकार्य नहीं हो सकतीं। उन्होंने कहा कि यह अनोखा ‘टॉर्चर म्यूज़ियम’ पर्यटकों के लिए एक आकर्षण का केंद्र बनेगा। यह अंतर्राष्ट्रीय और घरेलू पर्यटकों को लाल किले की यात्रा के दौरान एक नया अनुभव प्रदान करेगा, जिससे भारत में सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पर्यटन को भी प्रोत्साहन मिलेगा।
श्री खंडेलवाल ने कहा कि लाल किले पर एक ‘टॉर्चर म्यूज़ियम’ की स्थापना न केवल हमारे इतिहास की कड़वी सच्चाइयों को सामने लाएगी, बल्कि शिक्षा, और सांस्कृतिक चेतना के प्रति जागरूकता भी बढ़ाएगी। इस म्यूज़ियम के माध्यम से हम न केवल अतीत की यातनाओं को समझ पाएंगे, बल्कि यह सुनिश्चित कर पाएंगे कि भविष्य में ऐसी अमानवीय घटनाएं दोबारा न हों।